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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।

The devotion to Goddess Shodashi can be a harmonious blend of the pursuit of magnificence and The search for enlightenment.

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं get more info प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥

The above a person is not a story but a legend plus a truth because the man or woman blessed by Sodhashi Tripur Sundari, he gets the regal particular person. He achieves every thing because of his wisdom, would like and workmanship.

The story is really a cautionary tale of the strength of desire and the requirement to develop discrimination as a result of meditation and adhering to the dharma, as we progress inside our spiritual path.

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

Her job transcends the mere granting of worldly pleasures and extends to the purification with the soul, bringing about spiritual enlightenment.

ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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