Rumored Buzz on Shodashi

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Shodashi’s mantra encourages self-discipline and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate greater Management around their thoughts and actions, resulting in a far more mindful and purposeful approach to daily life. This reward supports own growth and self-willpower.

चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं

सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

Upon walking toward her ancient sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her electricity improves in intensity. Her templed is entered by descending down a darkish slim staircase having a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are lots of uneven and irregular ways. The subterranean vault is scorching and humid and nevertheless You will find there's feeling of safety and and defense in the dim mild.

Day: On any month, eighth working day of your fortnight, full moon working day and ninth day from the fortnight are explained to get very good times. Fridays are also Similarly excellent days.

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Shodashi’s mantra assists devotees release previous grudges, discomfort, and negativity. By chanting this mantra, men and women cultivate forgiveness and psychological release, advertising and marketing reassurance and the chance to go forward with grace and acceptance.

हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से website देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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